Jio, Airtel, Vodafone & BSNL Data Provider’s 2024: आज के इस पोस्ट में जो चर्चा है वह है जिओ की जो की मुकेश अंबानी का वह प्रोडक्ट है जो देश में इंटरनेट क्रांति के लिए अपनी पीठ थपथपा रहा है इन्हीं के पापा कहा करते थे कर लो दुनिया मुठ्ठी में (धीरूभाई अंबानी), लेकिन पिताजी के संदेश को बेटे ने अपने हाथ में ले लिया है और वह सही मायने में दुनिया को मुट्ठी में करने निकल चुके हैं शुरुआत उसकी भारत के140 करोड़ लोगों से हुई है। ये क्यों बोला जा रहा है आगे देखे इनकी पूरी कहानी और सचाई।
यह क्यों कहा जा रहा है क्योंकि हाल ही में जिओ ने जिस तरह से प्रेडेटरी प्राइसिंग करके सबसे पहले लोगों तक रीच पहुंचाई लोगों तक सस्ते दामों में अपनी आदत लगाई और अब धीरे-धीरे उन लोगों को अपने तरीके से जैसे मदारी डमरू पर नचा रहा हो कुछ उसी तरीके से अपनी प्राइसिंग से लोगों को नचा रहा है।
जिओ के द्वारा हाल ही में टैरिफ हाई करके 12% से 25% तक इजाफा किया है और इस इजाफा से जिओ को और टेलीकॉम सेक्टर को लगभग 50,000 करोड रुपए एक ही बार में प्राप्त हो जाएंगे। आप और हम फिर से एक ऑब्जेक्ट बनकर रह जाएंगे जिनके साथ कुछ बड़े कम्पनियाँ खेल रहे हैं कुछ बड़ी उद्योग धंधे हमें अपने इमोशंस के साथ प्ले करने का मौका दे रहे हैं अर्थशास्त्र में इस बात को मोनोपोलिस्टिक अप्रोच कहा जाता है।
एक अधिकार प्रकार का व्यवहार कहा जाता है जिसमें कोई भी कंपनी पहले लोगों की आवश्यकता बनती है और फिर अपने कंपटीशन को खत्म करती है कंपटीशन को खत्म करके अपने हिसाब से मार्केट को न चाहती है उसका जीवन तो उदाहरण आप में से अधिकांश व्यूवर्स ने जिओ का उदय होते हुए देखा है।
- कोई भी कंपनी पहले लोगों की आवश्यकता बनती है और फिर अपने कंपटीशन को खत्म करती है कंपटीशन को खत्म करके अपने हिसाब से मार्केट को नचाती है।
जिओ का मकशद
आप में से अधिकांश यूजर ने जिओ का उदय होते हुए देखा है जब शुरुआत में जियो आया था तब क्या कह कर आया, और आज जियो क्या कर रहा है और उसके आगे हमारी पूरी जिंदगी को हाथ में रखने के लिए उसने क्या तरीके अपनाए हैं क्योंकि भारतीयों की याददाश्त थोड़ी कमजोर है वह भूल जाते हैं कि कहां से क्या चीज शुरू हुई थी। कहां तक पहुंच गई है। इस पोस्ट के द्वारा आपको यह याद दिलाया जा सके कि आप एक ट्रैप में कैसे फसते चले जाते हैं।
इस बात को याद दिलाने के लिए शुरू से अब तक की सारी बातों को कवर किया जा रहा है ताकि आपको यह याद दिलाया जा सके कि आप एक ट्रैप में कैसे फंसे चले जाते हैं कैसे जियो ने सारे कंपीटीटर्स को पहले नुकसान पहुंचा।
सरकारी कंपनियों (BSNL) को बर्बाद ही कर दिया उसके बाद में जब लोगों के पास विकल्प के रूप में आप अकेले बचे तो आपने अपनी तरफ से लोगों को टैरिफ हाई करके बर्बादी की तरफ ले जाने के लिए मजबूर करते है।
यदि आप सोच रहे है की बर्बादी कैसे? इसने पैसा ही तो बढ़ाया है पैसे का लाभ ही तो है। लेकिन आपको अंदाजा नहीं है की कल को यही कंपनियां आपके साथ क्या-क्या कर सकते हैं यानी कि उनके पिताजी ने जो दुनिया के लिए संदेश दिया था कि कर लो दुनिया मुठ्ठी में, उनके बेटे ने खुद अपने हाथ में दुनिया को मुठ्ठी में करने का तरीका अपनाया और वह तरीका आज के इस समय में काम कर रहा हैं
मतलब कुल मिलाकर अब यह समझिए कि Jio के द्वारा जो किया जा रहा है वह अब इनके साथ-साथ देश के अंदर गिनती के कुछ ही कंपनियां Airtel, Vodafone और BSNL बची है।
देश का कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि 140 करोड़ आबादी को सर्विस देने के नाम पर देश में केवल चार कंपनियां मौजूद है और उनमें से भी लगभग 45 करोड़ यूजर लेकर के केवल एक कंपनी जिओ बैठी हुई है। यह अपने आप में सोचने का विषय है कि देश में किस तरह से मोनोपोलिस्टिक तरीके से हम पर कंट्रोल किया जा रहा है।
आज जिओ आपको न केवल इंटरनेट दे रहा है बल्कि बहुत सारी सर्विसेस उपलब्ध कराया है जैसे
- फाइनेंशियल सर्विसेस दे रहा है।
- बाजार की सुविधा दे रहा है।
आपकी हर एक जरूरत की पूर्ति करने के लिए सामने आ गया है इस बात को बहुत गंभीरता से समझने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की आवश्यकता है कि पहले आपको उसकी आदत डलवाया, अब आप पर कब्जा करने की तैयारी चल रही है।
हमारे देश राजनीति का गुलाम है या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन बड़ी कंपनियां किस तरह से हमें कंट्रोल करती है इसका उदाहरण यह जिओ का बूना हुआ जाल है जिसे आप देख सकते हैं।
इस जिओ के जाल में लेकर टीवी चैनल, जिओ सिनेमा, म्यूजिक, न्यूज़ जिओ यह सब चीज जिओ के नाम पर दिया जा रहा है। आप विचार करिए की इंटरनेट से होने वाली सर्विसेज को, और आपके दिमाग में जिओ की इमेज आ जाएगी। जिओ ने हाल ही में अपनी फाइनेंशियल सर्विस शुरू की है और जियो ने हाल ही में जिओ मार्ट शुरू किया है तो आज आपको यह पता चलेगा कि कैसे इंटरनेट को उपलब्ध कराकर डाटा गिरी करने वाले मुकेश अंबानी अब दादागिरी पर उतर आए हैं और इसके दादागिरी पर उतरने की शुरुआत कितने भोलेपन से हुई थी कि देश के अंदर आज यह कंपनी 21.6 ट्रिलियन रुपये की हो चुकी है।
Jio कैसे शुरू हुआ था?
एक व्यापारी हुए नाम था धीरूभाई अंबानी। धीरूभाई अंबानी के बारे में कहा जाता है कि वह गल्फ कंट्रीज में पेट्रोल वेंडर का कार्य किया करते थे देश में आए कपड़े का व्यापार किया दो संताने हुई मुकेश और अनिल बड़ी संतान का नाम अनिल छोटी का नाम मुकेश था।
धीरूभाई अंबानी ने अपनी धर्मपत्नी कोकिलाबेन के साथ मिलकर देश में बहुत सारे उद्योग धंधों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। धीरूभाई अंबानी वर्ष 2002 में जब नहीं रहे 70 साल की उम्र में जब उनका निधन हो गया, तो यह कारोबार जगत के लिए एक बड़ा झटका बनकर निकला, क्योंकि उनके दोनों बेटे मुकेश और अनिल अपनी-अपनी जरूरतों के लिए लड़ाई लड़ रहे थे। उनकी माता जी कोकिलाबेन ने उनकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए दोनों के धंधे अलग-अलग बाँट दिए, मुकेश को कहा कि तुम जाओ और अपना बढ़िया तेल निकालो (पेट्रोकेमिकल), रिफाइनरी संभालो और दूसरे को जो पिताजी लगा कर गए थे रिलायंस का यानी कि टेलीकॉम का काम पकड़ा दिया गया।
अनिल को टेलीकॉम सेक्टर दिया गया इस प्रकार से अनिल टेलीकॉम फाइनेंस और एनर्जी यूनिट में मिल गए। कहा जाता है कि अनिल थोड़े व्यवहार में जिद्दी थे उन्हें बिजनेस की सेंस नहीं थी उन्होंने उन धंधे में हाथ डाला जो की कॉम्पिटेटिव नहीं थे और इस प्रकार से वह लगातार नुकसान झेलते चले गए।
रिलायंस को धीरूभाई अंबानी ने शुरू किया था यह कह कर की कर लो दुनिया मुठ्ठी में इसे मुकेश ने अपने हाँथ में ले लिए और वह असल में मुकेश अंबानी के दिमाग की उपज बताया जाता था और कहा जाता है कि मुकेश अंबानी जब इस प्रकार से अनिल अंबानी को रिलायंस दिया गया था उससे काफी परेशान थे, लेकिन दोनों भाइयों ने एक एग्रीमेंट किया था और एग्रीमेंट में यह था कि हम 10 साल तक दोनों एक दूसरे के फील्ड में कदम नहीं रखेंगे।
यही हुआ की 2002 से अगले 10 साल के इंतजार में मुकेश अंबानी बैठे रहे की एक बार अनिल अंबानी को आगे निकलने दो फिर मैं अपना दोबारा से धंधे में एंट्री करुंगा और हुआ भी यही 2010 में इन्होंने अपना दिमाग लगाना शुरू किया क्योंकि 2012 में इनका समय पूरा हो रहा था कि मुझे टेलीकॉम में उतरना है और इस उतरने में इन्होंने धीरे-धीरे जिओ की बुनियाद 2010 के आसपास शुरू कहते हैं। 2010 में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 4800 करोड़ में इन्फोटेक ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड नाम की कंपनी की 95% हिस्सेदारी खरीदी थी।
इन्फोटेक ब्रॉडबैंड सर्विस लिमिटेड है यही देश की वह कंपनी थी जिसके पास 4G नेटवर्क का स्पेक्ट्रम था देश के 22 जॉन में बड़ा ही इंटरेस्टिंग है कि 4G का इसके पास नेटवर्क स्पेक्ट्रम था और इस नेटवर्क स्पेक्ट्रम को लेने वाली एक कंपनी के एग्रीमेंट के अनुशार होने का तो फ्रंट फेस में जियो नहीं हो सकती थी इसलिए किसी दूसरी कंपनी के साथ था।
लेकिन रिलायंस जिओ ने बाद में इसी का नाम बदलकर के इसी इन्फोटेक ब्रॉडबैंड सर्विसेज का नाम बदलकर के रिलायंस जिओ किया।
दिसंबर 2013 में 4G के लिए भारतीय एयरटेल से समझौता किया गया और कहा गया कि जो समुद्र से आने वाली इंटरनेट केबल है वह जियो रिलायंस एयरटेल से यूज़ करेगा साथ में वायरलेस टावर और इंटरनेट ब्रॉडबैंड सर्विस भी वह एयरटेल का इस्तेमाल करेगा। धीरे-धीरे अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन पर चढ़ती चली गई और रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ भी एक समझौता कर लिया गया की 4G स्पेक्ट्रम फैलाने में वह भी मदद करेगा।
इस प्रकार से रिलायंस जिओ ने अपनी 4G सर्विसेज के लिए एंट्री करना शुरू कर दिया। 4g सर्विस दिसंबर के अंदर अपने कर्मचारियों को 2015 में उपलब्ध कराई और कहां की एक बार आप यूज़ करके देखिए। आप अगर यूज़ कर लेंगे तो फिर अप्रैल में चलकर पूरी दुनिया वालों को बेवकूफ बनाएंगे।
क्या कह कर लाया गया था Jio?
मुकेश अंबानी ने डिजिटल रिवोल्यूशन लाने के लिए वर्ष 2016 में भाषण दिया कि हम दुनिया में वह सर्विस बनने जा रहे हैं जो डाटा का और कॉल का पैसा नहीं लेगी। यह सत्य है कि जिस समय पर रिलायंस ने यह काम किया। उस समय भारत के अंदर डाटा के चार्जअलग होते थे कॉल के चार्ज अलग देने पड़ते थे। कॉल और डाटा अलग-अलग हुआ करता था लेकिन आज जो हम वास्तविकता में चर्चा कर रहे हैं वह इसलिए की उस समय ₹200 प्रति जीबी तक हुआ करता था।
आप वह मिटाने के लिए आए थे की कहीं ऐसा तो नहीं जिस तरह से आप प्राइस को लगातार बढ़ाते जा रहे हैं आपकी भी असली मंशा वही हो कि मुझे भी उस समय तक इन्हें वापस लेकर जाना है क्योंकि जिस तरह से अपने शुरुआत की थी तब यह कहा था कि वॉइस कॉल फ्री रहेगा।
बाद में उन्होंने वॉइस कॉल तो पूरी तरह फ्री कर दिया लेकिन उसके लिए बहुत ही कम रुपये यानि की सस्ते में उपलब्ध कराया। इसे डाटा गिरी कहते हैं तो इस तरह से उन्होंने अपना प्रचार किया।
इस प्रकार से प्रॉपर तरीके से इन्होंने पूरी दुनिया के सामने एक तहलका मचा दिया कि इंडिया में एक ऐसा सर्विस प्रोवाइडर आ गया है जिसमें तीन-चार महीने के लिए तो अनलिमिटेड इंटरनेट फ्री कर दिया है।
- 3 महीने तक लोगों को पहले कंजप्शन हैबिट डलवाई गई यानी कि एक ऐसा नशा जिसके लोगों को आदत नहीं थी
- उस समय जहां 1GB डाटा को लोग पूरे महीने चला लेते थे।
- Jio ने 4 जीबी फ्री अनलिमिटेड कॉलिंग कार्रवाई 100 मैसेज प्रतिदिन देकर के 3 महीने तक फ्री का आदत डलवाया।
इंटरेस्टिंग बात तो यह था कि अगर 4 जीबी डाटा आप किसी को देने लगे। अब लोग प्रतिदिन उस डाटा का क्या करेंगे?
- इस डाटा के लिए इन्होंने बाकायदा 6000 से ज्यादा मूवी फ्री में उपलब्ध कराई।
- एक करोड़ से ज्यादा गाने उपलब्ध फ्री में उपलब्ध कराई।
अगर आपको डाटा मिल गया तो कंज्यूम कहाँ करोगे? हालाँकि देश में सस्ते इंटरनेट के कारण इंटरनेट क्रांति ने जन्म लिया। आज जो इंटरनेट में सर्विसेज है फिर चाहे वह उबर और जोमैटो हो या फिर यूट्यूब पर चलने वाला कंटेंट सभी इंटरनेट के बहुत आसानी से उपलब्ध होने से बहुत तेजी से फैलना शुरू हुआ।
इसके लिए बाकायदा इन्होंने बहुत ही सुगम तरीके से लोगों को अपने साथ एंट्री करने का तरीका बनाया। अनलिमिटेड फ्री कॉल, अनलिमिटेड एचडी वीडियो ना जाने क्या-क्या सुविधा देकर अपने साथ में शुरूआत की।
इन्होंने इंटरनेट का सदुपयोग करने के लिए इतने सारे एप्लीकेशन अपने लेवल पर भी उपलब्ध करवाई, इसमें म्यूजिक था जिसमें गाने थे, जिसमें मूवीस की तमाम चीज थी।
आज जिओ के पास में जहां जिओ सिनेमा, जिओ टीवी, जियो सावन, जिओ न्यूज़, जिओ सिक्योरिटी जो इंटरनेट की चीजें है वह नेट के दामों को एकदम आराम से नीचे गिरा दिया।
इंटरनेट के दाम को नीचे गिरने से मार्केट में यानी इंटरनेट प्रोवाइडर जो कंपनी आती है एयरटेल, वोडाफोन जैसी है
कंपनी का शुरुआत जबरदस्त तरीके से हुआ। दिसंबर 2016 तक फ्री ऑफर दिया गया। फ्री ऑफर 3 महीने के लिए एक्सटेंड कर दिया 31 मार्च 2017 तक हैप्पी न्यू ईयर ऑफर के नाम पर दे दिया जिसमें अनलिमिटेड डाटा वॉइस यानी कि यह लोगों को सस्ते की आदत डाल रहे थे।
फ्री की आदत डाल रहे थे धीरे-धीरे लोग इसे जुड़ते चले गए। दिसंबर तक ही उनके पास 52 मिलियन सब्सक्राइबर जिओ एप पर हो गए थे। यानी एक तरह से यह समझिए कि इन्होंने जिओ यूजर्स की संख्या में हैप्पी न्यू ईयर आया और हैप्पी न्यू ईयर में हंड्रेड मिलियन सब्सक्राइबर क्रॉस कर दिया।
हालांकि इनकी शिकायत करने के लिए बड़ी सारी कंपनियां “कंपटीशन ऑफ इंडिया” के पास गई, लेकिन वहां पर कोई सुनवाई नहीं हो सकी। अंत में कंपनियों को भी इनकी तरह नीचे उतरकर सस्ते ऑफिस देने पड़े।
फिर जब हैप्पी न्यू ईयर ऑफर खत्म हुआ तो अगले 12 महीने के लिए उन्होंने Jio प्राइम मेंबरशिप ले आए, मात्र 99 रुपए में प्राइम मेंबरशिप ज्वाइन करो और इसके साथ सारी फैसेलिटीज मिलती रहेगी और अगर इंटरनेट यूज़ करना है तो उसके लिए एक फीस तय कर दी गई।
धीरे-धीरे इन्होंने लोगों को पहले सस्ते की आदत डाली, आदत डाल कर इन्होंने प्रॉपर तरीके से इंटरनेट का यूज़ करते हुए उसका कंजप्शन की हैबिट डेवलप की। कंजप्शन हैबिट के साथ में अब उनकी इसी आदत का जैसे एक ड्रग एडिक्ट को पहले ड्रग का हल्का सा डोज दिया जाता है और वह एक बार उसका अदि हो गया फिर उसके बाद में उसको उसी आदत का ही दुरुपयोग करने के लिए कहा जाता है। अब तेरी आदत पड़ गई है तो खरीद मुझसे बस यही इंटरनेट के साथ किया जा रहा है।
अब धीरे-धीरे इनके दाम वसूलने इन्होंने शुरू किये। जिओ प्राइम मेंबरशिप ₹99 के हिसाब से कर दी और अनलिमिटेड जो डाटा है वह 303 के हिसाब से नए तरह के प्लान निकाल दिए। लोगों को लेकिन यह भी बहुत सस्ता लग रहा था धीरे-धीरे इन्होंने ऑफर्स में कहा कि अगर आप जियो मनी यूज़ करते हैं तो ₹50 तक का कैशबैक भी मिलेगा।
आपको जानकर आश्चर्य होगा जियो ने 2017 के अंदर 31 करोड रुपए का लॉस किया। जो कि लोगों को देखकर लगा ये तो बहुत ही अच्छा है लेकिन जिओ ने प्राइम मेंबरशिप ₹99 लाया और एक ही बार में 247 करोड रुपए का मुनाफा कर लिया।
यह सारा काम सस्ते का मैल उतार कर दूसरों को मजबूर कर दिया कि वह खड़े ही ना हो पाए इस मार्केट में इसी को प्रेडेटरी प्राइसिंग कहते हैं या फिर यह भी कह सकते है दूसरों को खा जाने वाली प्राइसिंग।
इन्होंने इतना सस्ता कर दिया कि जो भी इनके कंपटीशन में खड़ी हुई कंपनियां थी वह ऑलमोस्ट बर्बादी के कगार पर पहुंच गई। उसी समय लगभग 8-9 कंपनियां देश में यूज़ के लिए उपलब्ध थी।
इन्होंने सबको लगभग वैसे कस्टमर जो इंटरनेट खरीदने का इच्छुक नहीं है उसे भी ₹1500 का फोन दिया और कहा कि 3 साल तक यूज़ करो फिर रखने का मन हो तो रखो नहीं तो वापस पैसे ले जाना। फ्री इंटरनेट मिलता रहेगा ऐसा करके इन्होंने 5 करोड़ फोन भेज डालें।
5 करोड़ से ज्यादा फोन इन्होंने मात्र 2 साल के अंदर अंदर भेज दिए। धीरे-धीरे समय बीतता गया मार्च आता है और मेंबरशिप खत्म होती है ऐसे में मेंबर्स को अगर 2GB डाटा चाहिए तो 98 रुपए में मिल जाएगा यानी की आपको पहले सस्ते की आदत में फ्री की आदत डाली अब सस्ते की आदत डाल रहे हैं अब आपकी प्राइस को बढ़ाते जा रहे हैं
धीरे-धीरे इन्होंने प्राइसेज पढ़ना शुरू किया प्राइस बढ़ाते-बढ़ाते इंटरनेट को घरों तक तार से पहुंचना, जैसे जिओ फाइबर कहते हैं उसे जिओ गीगा फाइबर के माध्यम से घर तक पहुंचा
पहले देश के मार्केट में डाटा प्रोवाइडर कंपनियां
पहले देश में वोडाफोन (Vodafone), आइडिया (Idea), बीएसएनएल (BSNL), एयरसेल (Airtel), भारतीय एयरटेल, और पांच अन्य कंपनियां डाटा प्रोवाइड करती थी लगभग 10 मोबाइल करियर से 2016 में उन 10 मोबाइल करियर को इन्होंने पूरी तरह खत्म कर दिया।
आज देश के मार्केट में डाटा प्रोवाइडर कंपनियां
आज मार्केट के अंदर बहुत ही कम मोबाइल करियर बच्चे हैं एक तो जबरदस्ती सरकार की बैसाखी के सहारे (BSNL) चल रहा है बाकी जो दो बच्चे हैं एयरटेल और वोडाफोन इसमें से एयरटेल ही है जो कि उनके साथ कंपटीशन में है और फिलहाल के लिए एयरटेल भी अब इनकी गतिविधियां सीख गया है, क्योंकि वह भी इनकी तरह पहले सस्ते प्राइस करता है और जब Jio प्राइस बढ़ाते हैं तो वह भी बढ़ा देते है और इस तरह का मार्केट जिसको पहले तोड़ा गया और इसी प्रेडेटरी प्राइसिंग से सबको आदत डाली गई अपने ऊपर निर्भर कर दिया गया यही प्रक्रिया मोनोपोलिस्टिक मार्केट कहलाती है।
मार्केट में डाटा प्रोवाइडर कंपनियां कम होने से क्या होती है?
इसे इस तरह से समझे, एक आदमी बाजार जाता है तो वहां पर उसके पास इतने विकल्प मिलते हैं कि वह व्यक्ति किसी से भी सब्जी खरीद सकता हैं। लेकिन विचार करिए कि अगर वह सब्जी केवल एक ही दुकान पर मिल रही हो तो वह उसकी जो मर्जी चाहे उतना उस सब्जी का दाम रख सकता है।
अगर वह दो-तीन दुकानों पर ही मिल रही हो और वह दो-तीन दुकानदार आपस में यह सेट कर ले कि हम अपनी मर्जी से इस सब्जी को ₹100 किलो बेचेंगे की ₹500 किलो बेचेंगे तो वह ₹500 किलो में बेचेंगे और आप खरीदने के लिए मजबूर होंगे।
इस प्रकार के मार्केट को पॉलिस्टिक मार्केट कहते हैं फिलहाल हमारे देश में जिओ मोनोपोली की तरफ बढ़ रहा है। जिओ जैसे कह रहा है वैसे बाकी कंपनियां नाचने लग रही है चाहे एयरटेल हो चाहे वोडाफोन हो यह इसको टक्कर देने के चलते अपनी तरह से प्लान्स को बढ़ाते और घटते रहते है।
फिलहाल के लिए जियो के साथ में इन तीनों ने लगता है कोई सेटिंग कर लिए जिसके चलते अब यह ओलिगोपोलिस्टिक मार्केट की तरह देखा जा रहा है।
मुकेश अंबानी की नेटवर्क में इस इंटरनेट क्रांति के बाद जबरदस्त इजाफा हुआ लगातार इनका फाइनेंशियल ईयर आगे बढ़ता चला गया, लगातार सब्सक्राइबर बढ़ते चले गए। कहा जाता है कि वर्तमान में जहां इंडिया में लगभग 82 करोड़ इंटरनेट यूजर है उनमें से 45 करोड़ अकेले जिओ के यानी 45.98 यानि 46 करोड़ ही कह लीजिए।
46 करोड़ डाटा यूजर्स इस समय जिओ के पास है जिसकी वजह से इंडिया में दूसरा सबसे ज्यादा इंटरनेट यूजर बन गया है इनके द्वारा इंटरनेट सस्ते में उपलब्ध करा कर जो क्रांति लाई गई उसी क्रांति को फिर इन्होंने झंडे दिखाने शुरू किया।
पहले भी इन्होंने जब इस तरह से प्राइस 2021 में बढ़ाया था तब लोगों को बहुत जबरदस्त तरीके से रिएक्शन देने का मौका मिला था, उन्होंने कहा था कि जज्बात बदल दिए। और आज यह 2021 के बाद उन्होंने अचानक से 25% प्राइस हाई कर दिया है। इनकी देखा-देखि एयरटेल (Airtel) और वोडाफोन (Vodafone) ने भी प्राइस को बढ़ा दिया है।
- मतलब 209 रुपए का प्लान था 249 रुपए का हो गया है।
- एयरटेल में 299 वाला प्लान 349 का कर दिया है।
- वोडाफोन में 269 वाला प्लान 299 का कर दिया है।
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